STORYMIRROR

Radhika Nishad

Romance

4  

Radhika Nishad

Romance

सांझ का तारा

सांझ का तारा

2 mins
507

चौदहवीं की रात थी आधा चांद था सांझ का एक तारा

मन के पाबंद धूप का कोना तुम नदी हो जाना और लहर बनके मुझे छू जाना...,खिड़की के पास खड़ी में देखती वो भीगता मेरा मोहल्ला...!


देखती हूं वो जो थोड़ा सा अजनबी है,अब उससे भी बातें करते है हम, हम तुम से जुदा क्या हुऐ ये एहसास हुआ हाथों की लकीरों में कही एक लम्बी जुदाई की रेखा है,.….!


के ये जिद्द है कैसी आवारा बादलों सा है प्यार तुम्हारा अब छोड़ तुम्हें दूर बहुत है जाना, जिस पिंजरे से आज़ाद हुई थी, उस पिंजरे में फिर कैद मुझे हो जाना है एक आशियाना बना चाहा था तेरे साथ वो चाहत रहेंगी ज़िन्दगी भर अधूरी....!चौदहवीं की रात थी आधा चांद था सांझ का एक तारामन के पाबंद धूप का कोना तुम नदी हो जाना और लहर बनके मुझे छू जाना...,खिड़की के पास खड़ी में देखती वो भीगता मेरा मोहल्ला...!


देखती हूं वो जो थोड़ा सा अजनबी है,अब उससे भी बातें करते है हम, हम तुम से जुदा क्या हुऐ ये एहसास हुआ हाथों की लकीरों में कही एक लम्बी जुदाई की रेखा है,.….!


के ये जिद्द है कैसी आवारा बादलों सा है प्यार तुम्हारा अब छोड़ तुम्हें दूर बहुत है जाना, जिस पिंजरे से आज़ाद हुई थी, उस पिंजरे में फिर कैद मुझे हो जाना है एक आशियाना बना चाहा था तेरे साथ वो चाहत रहेंगी ज़िन्दगी भर अधूरी....!


शायद फ़िर एक बार निकालूंगी इस पिंजरे से अपने वजूद को तलाशने शायद फ़िर मिलूंगी तुझे किसी बरसात के मौसम में भीगते भागते, तुम अजनबी हो जाना कुछ यादों की पोटली अपने साथ लिए आना, कुछ बातों के बहाने हम लेकर आयेंगे और चाय के दो प्याले होंगे और होंगी तुझसे लम्बी बातें कभी तो किसी रोज तेरे मेरे बीच की ये सीमाएं खत्म होंगी कभी तो वो जुदाई की लकीर मिटेंगी...!!


शायद फ़िर एक बार निकालूंगी इस पिंजरे से अपने वजूद को तलाशने शायद फ़िर मिलूंगी तुझे किसी बरसात के मौसम में भीगते भागते, तुम अजनबी हो जाना कुछ यादों की पोटली अपने साथ लिए आना, कुछ बातों के बहाने हम लेकर आयेंगे और चाय के दो प्याले होंगे और होंगी तुझसे लम्बी बातें कभी तो किसी रोज तेरे मेरे बीच की ये सीमाएं खत्म होंगी कभी तो वो जुदाई की लकीर मिटेंगी...!!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance