दूसरा प्यार
दूसरा प्यार
कोई शिकवा तो नहीं फिर भी लगे की कोई शिकायत है, उस खुदा से.…!
तू साथ है मेरे फिर क्यों खुद को अकेला सा महसूस करूं मैं….!
जवाब की तलाश मैं में इंतजार करती एक तेरे हां का…!
अब कहना होंगा तू चुप्पी कब तक साधे रखेगी…!
न जा ऐसे ख़ामोश हो कर दिल तेरा मुझसे खफा तो नही है….!
तुमसे दूर होकर ये जिंदगी हसीन तो नही है के अगर इश्क़ एकतरफा है तो एकतरफा ही सही मेरे ख्यालों में तू कम से कम किसी और का तो नही है….!
इस एक कतरे मोहब्बत में जाने तेरे लिए क्या क्या न किया हमने…!
ये मोह के धागे तुझसे ऐसे बंधे है, वो जो इश्क़ तुझसे किया तेरी यादों से किया कुछ खोया तो कुछ पाया,खोया पहले प्यार को….!
बंधा फिर से गहरे रिश्ते में, मैं वो जो इश्क़ था, अब उनसे हुआ है पर इजहारे मोहब्बत अभी तक न हुआ है…!
साल वही है मोहब्बत नई सी हुई है, कहता नही हूं पर इस दिल में अब तू ही बसी है….!
मैं हमेंशा तुमसे ही प्यार करूंगा ये दिल थोड़ा सा सिरफिरा सा हुआ है तेरे प्यार मैं घायल सा हुआ है…!
एक अच्छी लड़की के प्यार में दिल फिर से पड़ा है…!
हां ये सच है पहला प्यार यादों में गहरी जड़ें जमाए रहता है मगर उतना ही सच ये भी है की दूसरा प्यार भी हसीन होता है यूंही रहना साथ तुम जैसे धूप रहती है छांव के...!!

