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Radhika Nishad

Romance

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Radhika Nishad

Romance

मेरा बिछड़ा संवरा…!

मेरा बिछड़ा संवरा…!

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बंधते एक डोर से दो दिल,,,,,मिलते फिर चोरी चुपके,,,,,,,,

जानें किस बात से रूठा तू है,,,,!

मिलते मिलते हम बिछड़े क्यों है,,,,,

कच्ची थी डोर ये दिल की,,,,,ये डोर जो बीच से टूटी है,,,,

एक दिल कांच सा टूटा है,,,, आंखो से आंसू बहते हैं,,,,

तेरा मासूम सा चेहरा,,,,,,,,,,आंखे तेरी समंदर सी गहरी और नशीली हैं,,,,,,,

चेहरे पे दिल मेरा ठहरा,,,,,, आंखो में दिल मेरा डूबा था,,,,,,,,,,

बातों में उसके खो के,,,,,, मैं तो उसकी ही दीवानी,,,,,,

बन बैठी जैसे वो मेरा कान्हा,,,,,,और में उसकी राधा,,,,,

कुछ यूं चलेगा तेरा मेरा,,,,रिश्ता उम्र भर,,,,,मिल जाएं तो बातें लम्बी,,,,,

और न मिले तो तुझ संग यादें लम्बी,,,,,।



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