मुलाकात का बहाना
मुलाकात का बहाना
सच कहते ये दिल तो बस तुम्हारा दीवाना, तुमको ही पाना है ,
आज कही - अनकही हर उन सभी बातों को तुम्हें बताना है,
तुझे देखते ही तेरी झील -सी आंखों में मैं इस कदर डूब गया,
हर राह पर तुमसे मिलना ये तो बस मुलाकात का बहाना है I
नजरों के तीर हो रहे दिल के आरपार बूंदें बरसने को आतुर है,
उनके लब है खामोश मगर दिल में उनके गूंज रहे प्रेम के सुर हैं,
अनोखी -सी छुअन और अश्कों से भीगा- भीगा दामन उनका
बेचैनी में आज मन मेरा तुमसे बहुत कुछ कहने को व्याकुल है I
बेचैनियाँ समेट कर सारे जहान की आज सब कुछ तुम्हें बता दूँ,
ना जाने दो दूर खुद से हमें, समेटकर बांहों में मांग तेरी सजा दूँ,
मुस्कुराहट से उनके लबों पर मुझे जो लालिमा दिखाई दे रही है,
अपना लो और आ जाओ बांहों में, तुम्हें अपना गुलिस्तां बना दूँ I
हर ख्वाबों को सतरंगी रंगों में बुनकर उसने प्रेम रस छलकाया है,
कोमल पुष्पों की सुगंध लिए अपने लबों से उसने प्यार बरसाया है,
पल भर पास आकर मिलता जब स्पर्श, एक मंद हवा सी बहती है,
सांसों में मेरे कस्तूरी- सी महक जाती तन-मन को झंकृत करती है I
तसव्वुर में फिर बेपनाह उनसे मोहब्बत हम करते चले गए,
प्रीत नगर में महज उसके नाम से ही हम तो संवरते चले गए,
उसकी चाहत का खुमार इस कदर मेरे इस दिल पर छा गया,
उनसे महफिल में जब मिले हम, दिल में उनके उतरते चले गएI