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इमरान खान

Romance Inspirational

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इमरान खान

Romance Inspirational

मैंने अपनी नींद में

मैंने अपनी नींद में

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मैंने अपनी नींद में 

बस तुम्हारा नाम पुकारा है।

कितनी बार देखा तुम्हें 

पर आँखें नहीं भरी।

तुम्हारे होंठों से निकला हुआ,

गुलाबी पारदर्शी पदार्थ,

ओस की नन्ही कंपकंपाती बूँद की तरह,

जिसमें ठहरा है स्वादिष्ट लावा,

जिसकी चाशनी में डूबकर,

मैंने अपने लिए कुछ ख़्वाब देखे है।

मुझे पता है

तुम्हारे होंठों के नीचे 

एक बारीक तिल है!

मुझे पता है

तुम्हारा दिल कोई अंग नहीं है,

तुम्हारा दिल धड़कता हुआ 

एक सवेरा है,

जिसकी रोशनी में जागकर मैंने

ना जानें कितनी सदियाँ जागी है।

तुम्हारे माथे पर जो बचपन की 

चोट का निशान है,

वो 'मीर' का कलाम है।

तुम्हारी उँगलियों की सफ़ेदी में

मैंने रात का का काजल बनते देखा है।

सारे आकाश के सितारे गिर गए है,

तुम्हारे कान की उन काली बालियों में,

जिसमें चमकता हुआ अँधेरा

बुझे हुए बल्ब की तरह

खींचता है मुझे तुम्हारी ओर।

मुझे पता है

जब हम दोनों प्रेम में होंगे,

तो ये पिघलती हुई रात,

तुम्हारे होंठों पर प्रेम का ना जानें      

कौन-सा गीत गाएगी?



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