तेरे संग चलता है मौसम
तेरे संग चलता है मौसम
तुम्हारे अनबोले शब्दों को मैं आंखों से ही पढ जाती हूँ ,
उन ढाई अक्षर की बोली संग हर लम्हा मैं जी जाती हूं।
वो परे हटा दर्पण को जो नैनों से झांकती हूँ अन्तर्मन में ,
दुनिया के सारे ताने बाने में बस तेरा ही चेहरा पाती हूँ।
संगीत के सारे साज मेरे तेरी सरगम में सजते हैं,
गीतों के सारे सुर भी तो तेरी ही हंसी में थिरकते हैं।
वो सुनना चाहूँ ऋतु गीत जो सावन की आती बहारों में,
बरखा की रिमझिम बूंदों में बस तेरी खनखनाहट पाती हूँ।
इस धरती से उस अम्बर तक बस तेरे ही साए हैं,
प्रकृति के भी तो सारे रंग चुरा तैने अंक मेरे समाए हैं।
जो रंगना चाहूं जीवन को अपने रंग बिरंगे आंचल से,
रंगने को इंद्रधनुषी रंग तेरे हाथ में कूची पाती हूं।
बारिश की बूंदें आ आकर जब मन के पन्ने भिगोती हैं,
जो बिन बताए धूप आ सांसों में यूं ही घ
ुल जाती है।
बंद आंखे कर बैठती हूं यादों को तेरी गुनगुनाने को,
लवों पे आकर लब्ज भी बस तेरी ही तलब ले आते हैं।
देख तुम्हारा दिल दीवाना तेरे संग चलता है यह मौसम,
हवाएं भी कानों में आ मेरे तेरा किस्सा कहती है हरदम।
कुछ यादों का कर्जदार जो बैठी हूँ तुम्हें बनाने,
आंखों में आता तेरा चेहरा हिसाब चुकाता है मेरे हमदम।
जो सोचकर तुमको मैं कभी तनहाई में झगड़ा करती हूँ,
मेरे जीवन के हर किस्से में तुझको ही पिया मैं जीती हूँ।
ना पाके पास तुझको जो सखी संग बात बनाने बैठती हूँ,
भूल अपनी सारी बतियां बस तेरा ही ज़िक्र मैं कर पाती हूँ।
कभी तो तुम रूठते हो कभी तुम ही मुझे मनाते हो,
दुःख आता पास देख तुम भी कहां रह पाते हो।
जो सुख परे हटा कर मन की मिट्टी करती हूं बंजर,
धकेल हताशाओं के बादल खुशी के बीज भर ही देते हो।