फूल और तितली
फूल और तितली
वह खिलता है बिन यह सोचे
कि कल उसको मुरझाना है
वह हंसता है बिन यह सोचे
कि कल उसको गिर जाना है
छोटा सा जीवन है उसका
यह जानकर भी वह पगला
कल की चिंता किए बिना
परिवेश को सुगंधित है करता।
उसे पता नहीं अपने प्रिय से
अपने इस छोटे से जीवन में
मिलना उसका होगा या नहीं
फिर भी उसके अभिनंदन में
वह महक रहा है तन मन से
वियोग की चिंता किए बिना
वह बांट जोहता है उर से
वह करें प्रेम सच्चे मन से।
प्रियतम उसकी है ढूंढ रही
उसे कली कली और गली गली
प्रेम रस में डूबने को
वह निकल चली बन के तितली
यह जानकर भी कि क्षण भर का
होगा मिलन प्रिय से उसका
वह करें तलाश उसे फिर भी
वह करे प्रेम उससे फिर भी।