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Deepika Kumari

Others

4.5  

Deepika Kumari

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वो शख्स

वो शख्स

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कोई ऐसा जिसे दिल अपना कहे 

और जिसे हाले-दिल सुना कर

मन खुद को हल्का महसूस करे 

वो शख्स कोई और नहीं 

एक दोस्त होता है।


बात हो पढ़ाई की 

या प्रेमी से जुदाई की 

दोस्त की टांग खिंचाई की 

या मां से हुई धुनाई की 

जिससे कुछ भी ना छिपाए हम 

वो शख्स कोई और नहीं 

एक दोस्त होता है ।


मुश्किल का हल चाहे वह ना दे 

बेकार सलाहों से मन भर दे 

फिर भी मन के हर दुख को 

जिस से साझा करने का दिल चाहे 

वो शख्स कोई और नहीं 

एक दोस्त होता है।


बिन स्वार्थ जो साथ तुम्हारा दे 

बिन मतलब के तुम को चाहे 

एक बार कह देने भर से ही 

जो तुम तक दौड़ लगाता है 

वो शख्स कोई और नहीं 

एक दोस्त होता है।


उम्र की हर सी

मा से दूर 

जात पात के बंधन से मुक्त 

सब रिश्तों से अलग 

हर रिश्ते में बसा 

वह रिश्ता कोई और नहीं 

बस दोस्ती का ही होता है ।


रिश्ता हो गुरु-शिष्य का चाहे 

पिता-पुत्र हो या दो प्रेमी 

पति-पत्नी हो, भाई-बहन हो 

सास-बहू हो या मां-बेटी 

जिस भी रिश्ते को ये छू ले

 वही रिश्ता मधुर हो जाता है 

कोई और नहीं यह वही 

दोस्ती का रिश्ता कहलाता है ।


यह तो सबको है मालूम 

कि दोस्त होता है बड़ा काम का 

पर प्रश्न यह नहीं प्रश्न है 

सच्चे दोस्त की पहचान का 

घूमते हैं ख़ुदग़र्ज़ कई 

ओढ़ कर नकाब दोस्ती का 

काम निकाल कर अपना 

देखते नहीं पलट कर फिर 

कहते हैं खुद को दोस्त 

उठाकर फायदा

अपनी मीठी जुबान का। 


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