मेरे हृदय की पुकार
मेरे हृदय की पुकार
जब आँखों में आता है स्वप्न तुम्हारा
रोम रोम खिल उठता है मेरा
जब साँसों में आती है खुशबू तुम्हारी
महक उठता है मेरी साँसों का घेरा
जब भी आता है सामने चेहरा तुम्हारा
चमक उठती है मेरी भी आँखों की रोशनी
लेकिन मेरी बात ज़रा ध्यान से सुनो प्रिये
अब नहीं होता मुझसे और इंतज़ार
तुमसे दूर रह के बिताया है मैंने समय अपार
अब तो आ जाओ कि थक चुका हूँ मैं
तुमसे गले मिलने की आस लिए ही जी रहा हूँ मैं
आकार लिपट जाओ मुझसे की मन को चैन मिले
आकार रह जाओ पास मेरे की आत्मा को सुकून मिले
जीवन तो वरना ऐसे ही बीत जाएगा
ये समय फिर से नहीं आएगा
लिख रहा हूँ तुम्हें की अब सुन लो मेरी पुकार
प्यार का मौसम यूं ही बीत जाएगा।

