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AKSHAT YAGNIC

Romance

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AKSHAT YAGNIC

Romance

जब देखी उसकी मुस्कान

जब देखी उसकी मुस्कान

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उसके सुंदर होठों पर जब देखी मैंने मुस्कान

खो गया उस मुस्कान में , मिली मुझको एक नई पहचान

जाना मैंने अपने मन के उस कोने को

जो है सुंदरता का एक उपासक

देखी उसके होठों की जब वो कली

मिल गई मुझे झूमने की एक गली

लाल रंग देखा उसके होठों पे सजा हुआ

तो मेरे मन को बेहोशी का मज़ा हुआ

उसके होंठों के कोनो पे था एक प्यारा सा तिल

उस तिल पर ही मर मिटा मेरा मासूम सा दिल

जब आई उन होठों पर एक मुस्कान प्यारी

खिल गई मेरे सपनों की वो क्यारी

देखता रह गया मैं उसके होंठों की सुंदरता

जटिल सा खड़ा रह गया बस, आई मन मे मधुरता।



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