आँखों से कहो
आँखों से कहो
चलो बातें करते हैं
इधर उधर की
कुछ सुलझी
कुछ उलझी
ख्वाबों की
उड़ान की
पहचान की
तारो की
यादों की
हवाओं की
मुस्कान की
कैसे मिले
हमतुम
कहाँ
बेतरतीब बातें
क्यों मिले हम
सोंचा है
कभी ?
आओ बात करते हैं
पसंद की
नापसंद की
कुछ मैं कहूँ
कुछ तुम
या चुप रहो
बोलो आंखों से
मैं समझ लूँगा।