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Jayshree Sharma

Romance

3  

Jayshree Sharma

Romance

किताबें - इश्क

किताबें - इश्क

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तुम अपने इश्क की

दुहाई देते हो,

कभी सीमाहीन अम्बर के चांद सितारों की

तो कभी सागर के अथाह जल राशि से

तो कभी प्रकृति के हर उपादानों से

अपने इश्क की तुलना करते हो।


सुनो ना

तुम्हारा अनेक उपमाओं से

अपने इश्क को यूं व्याख्यायित करना

एक उपहास सा लगता है,

सब लगता है जैसे हो

ये किताबी- इश्क सी बातें

समझ नहीं पाते हो

जब तुम एक नारी का

अनछुआ मन।


तुम्हारा ये कहना कि

तुम मेरे इश्क में हो।

तुम्हारा ये इश्क, प्रेम 

मुझ पर मर मिटने की बातें

सब बेमानी सी लगती है।

जब तुम नहीं समझ पाते हो

एक स्त्री या कहो पत्नी या प्रेमिका का

देह से परे भी होना।

तब ये इश्क , प्रेम

सब लगता है जैसे हो

ये किताबी - इश्क सा।


         


 



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