लफ्ज़ बा लफ्ज़
लफ्ज़ बा लफ्ज़
लफ्ज़ बा लफ्ज़
जिन शब्दों के मोती को
पिरोया था
दिल मे
वही अल्फ़ाज़ की सूरत लिए
उतर आए हैं लबों पे।
इन अल्फ़ाज़ की खुशबू को
तुम चुन लेना।
और
कहीं टांक देना
इश्क के पन्नों पे
लफ्ज़ बा लफ्ज़।
जो रहेंगे सदा साथ तेरे
मेरी याद बन कर
तेरे दिल के
किसी कोने में।
और आते रहेंगे
तेरे अधरों पे
मुस्कान बन कर,
उन मुस्कराहट को ऐसी
तुम सहेज लेना।
जो साथ निभाएंगे सदा
प्रेम पथ की कठिन डगर पर।

