हर आँख होती क्यों नहीं नम है।
हर आँख होती क्यों नहीं नम है।
जीवन वृत की परिधि
क्यों उलझी पड़ी है,
मन आज क्यों इतना
विह्वल-सा हुआ है,
माना की दुःख की घड़ी
बड़ी है पर
हर आंख के तारे
सितारों के जाने से
हर आंख ही देखो नम है।
सर्वश्रेष्ठ अभिनेता थे वे
अभिनीत चरित्रों सा ना दूजा
चरित्र कभी हो पाएगा।
उनका यूं ही चले जाना तो
मन को छल गया।
पर ये आंसू
दिल को द्रवित करने वाली
अभिव्यक्तियां
क्यों मूक हो जाती है।
जब मरता सीमा पे
देश का जवान है।
हो जाते है वो कुर्बान,
फिर भी नहीं हो पाता
उनका उचित सम्मान है।
उनके यूं चले जाने से
हर आंख क्यों
नहीं होती नम है।
हर आंख क्यों नहीं होती नम है।