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भोर की डेहरी पर अलसाई आंखों से आकर किरणों संग झांक रहा होगा सवेरा। भोर की डेहरी पर अलसाई आंखों से आकर किरणों संग झांक रहा होगा सव...
इन अल्फ़ाज़ की खुशबू को तुम चुन लेना। इन अल्फ़ाज़ की खुशबू को तुम चुन लेना।
सुख एवं दुःख के भाव संग व्यतीत जीवन। कहीं खिलखिलाता-सा बचपन सुख एवं दुःख के भाव संग व्यतीत जीवन। कहीं खिलखिलाता-सा बचपन
सिमटी रहूं मैं अपने ही दायरे में " ये कहने का अधिकार तुम्हें किसने दिया था। सिमटी रहूं मैं अपने ही दायरे में " ये कहने का अधिकार तुम्हें किसने दिया था।
जिजीविषा हो जीवन में कुछ पाने की तो मनुज को कष्ट उठाना पड़ता है। जिजीविषा हो जीवन में कुछ पाने की तो मनुज को कष्ट उठाना पड़ता है।
उनका यूं ही चले जाना तो मन को छल गया। उनका यूं ही चले जाना तो मन को छल गया।
समझ नहीं पाते हो जब तुम एक नारी का अनछुआ मन। समझ नहीं पाते हो जब तुम एक नारी का अनछुआ मन।
खोजते रहते है हम उसे हर क्षण हर पल समय की रेत पर खोजते रहते है हम उसे हर क्षण हर पल समय की रेत पर
उन उपमाओं के छलावों से तुमने सदियों तक सदा ही छला है मेरा मन, मेरा तन। उन उपमाओं के छलावों से तुमने सदियों तक सदा ही छला है मेरा मन, मेरा तन।
सृष्टि - चक्र में देकर अपनी सहभागिता नव अंकुर से अपनी कोख सजाती। सृष्टि - चक्र में देकर अपनी सहभागिता नव अंकुर से अपनी कोख सजाती।