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Rajit ram Ranjan

Romance

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Rajit ram Ranjan

Romance

बिलकुल तू वैसी हैं....!

बिलकुल तू वैसी हैं....!

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हैं पास मेरे जो तू, 

फ़िर डर अब कैसी हैं.... 

सपना देखा था मैंने, 

बिलकुल तू वैसी हैं.... 


तुझे माँगा था ख़ुदा से, 

पर ये कहाँ मालूम था.... 

जिस्मों का रुहो से, 

कुछ तो ताल्लुक था.... 


मैंने छोड़ दिया उसको, 

हर नाता तोड़ आया.... 

उसकी गलियों में, 

दिल अपना छोड़ आया.... 


मुझमें बदलाहट कि,  

ये आदत कैसी हैं.... 

सपना देखा था मैंने, 

बिलकुल तू वैसी हैं....!


ख़ुद को पल-पल, हरपल 

मैं भूलता जा रहा हूँ.... 

खोया हूँ मुझमें मैं, 

औऱ ढूंढना चाह रहा हूँ.... 


बस एक घड़ी मुझको, 

बाहों में ले ले तू, 

मैं तनहा अकेला,  

टूटता जा रहा हूँ.... 


सुलझन ना दिख रही, 

ये उलझन कैसी हैं.... 

सपना देखा था मैंने, 

बिलकुल तू वैसी हैं....!


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