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Goldi Mishra

Romance

4  

Goldi Mishra

Romance

" उस शाम का मौसम "

" उस शाम का मौसम "

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178


वो मौसम फिर से लौटा दे कोई,

लौटा दे वो बरसाते और सावन कोई,।।

सावन के उन गीतों पर मैं सब भूल कर झूमी थी,

उस शाम किसी के इंतजार में आंखे नम थी,

सारी रात मौसम कुछ अजीब सा था,

एक अजीब दर्द एक बेचैनी से भरा था,।।

वो मौसम फिर से लौटा दे कोई,

लौटा दे वो बरसाते और सावन कोई,।।

तुम्हारी आहट जब सुनाई दी,

मानो किसी प्यासे को झील दिखाई दी,

अपना श्रृंगार अधूरा छोड़ मै दौड़ी दरवाज़े की ओर,

एक अनूठी खुशबू छाई थी हर ओर,।।

वो मौसम फिर से लौटा दे कोई,

लौटा दे वो बरसाते और सावन कोई,।।

तुम्हे पाकर अपनी सुध मैने बिसरायी,

ना जाने एक नमी मेरी आंखो में थी छाई,

इस मौसम में भी आज एक अजीब सी ठंडक है,

तू रब मेरा तू ही मेरी इबादत है,।।

वो मौसम फिर से लौटा दे कोई,

लौटा दे वो बरसाते और सावन कोई,।।

आज प्यार का मौसम फिर छाया है,

ये सावन आज हजारों गीत अपने साथ लाया है,

आज हम दोनो इस मौसम को जी भर कर जीयेंगे,

दो बातें दिलो की हम दोनो बयान करेंगे।



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