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Ram Binod Kumar

Romance

4  

Ram Binod Kumar

Romance

आप लिखें तो ,

आप लिखें तो ,

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आप लिखे तो मैं जीवन भर!

बस केवल पढ़ता रह जाऊं।।

आपकी बातें क्या कहना ?

शब्दों बिन आपके नहीं रहना।

शब्दों में आपकी बड़ी, है जादू ,

मेरे दिल पर भी,आपका है काबू ।

लिखे शब्दों से निकलती ,आवाजें,

कानों में घोले मिश्री हरदम ,घंटी सी।

मैं जानना चाहूं ,आपकी हर बातें।

आप लिखे तो मैं जीवन भर ,

बस केवल पढ़ता ही रह जाऊं।

कुछ भी बोलो ,सुनूंगा तन्मयता से।

जीवन उसमें ही, मैं अब ढूंढता हूं।

अपनी ही यादों को हरदम रूंधता हूं।।

मेरी यादें सब अब ताजी हो जाती,

सपनों में आपकी बस ये खो जाती।

आप लिखे तो मैं जीवन भर,

बस केवल पढ़ता रह जाऊं।

शायराना आपका झलकता है,

चितचोर आप को यह कहता है।

तितली सी चंचल यह मन मेरा,

ढ़ूढ़े आप तक, यह अपना बसेरा।

हर बात है आपके आदर्श मेरे,

सपने भी हैं तो अब बहुतेरे ।

आप लिखे तो मैं जीवन भर,

बस यूं ही पढ़ता रह जाऊं।

सब आप से ही शुरू होती है,

आपके बिन उसका अंत नहीं।

नयन निर्झर- सा सदा बहता है,

जो आप दर्शन यदि नहीं मिले।

यह है चंदा की उस चकोर सा,

सावन की पुलकित मोर सा ।

आप लिखे तो मैं जीवन भर,

बस यूं ही पढ़ता रह जाऊं ।

मेरे जीवन की खुशियां आप हो,

आपसे ही है यह अब जीवन मेरा।

मैं घायल भी ,और अभागा सा ,

दिन में खोया रहूं रात के जागा सा।

आपकी बातें मुझको अच्छी लगती,

तो हाय ! अब करूं मैं क्या उपाय।

आप लिखे तो मैं जीवन भर,

बस यूं ही पढ़ता रह जाऊं ।

सर्वस्व तो मेरा बस तुम ही हो,

तुम ही हो मेरे जीवन आधार।

तेरे बिन अब तो आती नहीं,

मेरे जीवन की कोई बाहर।

अब कितनी बातें बताए विनोद,

इसका नहीं कोई आदि ना अंत।

आप लिखे तो मैं जीवन भर,

बस केवल पढ़ता ही रह जाऊं।



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