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Ashutosh Atharv

Romance

4  

Ashutosh Atharv

Romance

आठ मुक्तक

आठ मुक्तक

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किसी के पास दुनिया है, हमारे पास है यादें 

साक्षी है ये चन्दा भी, क्या हसीन थी रातें ?

अब तो दूर हूँ तुमसे या मजबूर हूँ खुद से

जुबां खामोश है फिर भी निकलती है बस आहें


2. तुम्हारे पास आना था ,अभी तक दूर बैठा हूँ 

नियति का खेल ही समझो,बहुत मजबूर बैठा हूँ 

सजाने को सजा लेता हूँ सपने मे तेरी महफिल 

पर आँखे जब भी खुलती है,तो तुमसे दूर बैठा हूँ 


3 ग़रीबी वो बीमारी है , जो दिल दहला दे 

अमीरी वो बला है जो मन बहका दे 

अगर हो साम्य दोनो में ,ना दिल दहले ,ना मन बहके 

सुभग कैसा चमन होगा , जिसकी हर कली महके 


4 तेरी भोली सी सूरत मे छिपी है लाख सी खूबियाँ

गिनाऊँ गर मै जेहन से कमी रह जाएगी खूबियाँ

हँसती हो , मचलती हो , चहकती हो तुम ऐसे

मुझे डर है तो बस इतना कि सब जानेगी दुनिया


5. तेरे तन बदन मे उभरी है जो वक्र रेखाएँ,

लगाऊँ कौन सी पहरे ना घूरे वक्र निगाहें,

नही अपराध है उनका जो मुङ मुङ के तुझे देखे,

बला की खुबसूरत तू , तेरी जूल्मी है ये आँखें।


6. तुझे गर देखना चाहूँ तो आँखे मूँद लेता हूँ

बिना तेरी इजाज़त के ही तुझको चूम लेता हूँ

रहो तुम दूर कितनी भी मेरी निगाहों से 

तेरी ज़ुल्फ़ों की ख़ुशबू को पहचान लेता हूँ


7. मोहब्बत चीज़ है ऐसी ,नशा तो हो ही जाता है 

ज़माना भी हो पहरे पर,तो दिल ये खो ही जाता है

मिलन की आह में सोना ,मिलन की चाह में जागना

मिलन की आस जब टूटे तो फिर दिल रो ही जाता है


8. किसी के पास दौलत है किसी के पास मोहलत है 

जिसके पास दोनों है खुदा की खास नेमत है 

ना मेरे पास दौलत है ना ही दो वक़्त की मोहलत 

पर खुदा की ख़ास बरकत है की मेरे पास मोहब्बत है


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