जल जीवन हरियाली
जल जीवन हरियाली
है विकास की चाह सभी को,पर क्या वो मतवाला हो ?
आने वाला ‘कल’ निगल जाए,नहीं सोचनेवाला हो ?
चन्द क़दम जब पड़े चाँद पर , दुनिया नतमस्तक आगे
प्राणवायु और पानी का कोई विकल्प बनाओ तो जाने ?
प्रकृति भूल,विज्ञान मूल पर, नाहक ही इतराते हो
क्या बिन पानी जीवन की, कल्पना भी कर पाते हो?
है यक़ीन पूरा करोगे, कई शुक्र-मंगल मिशन
क्या आने वाली पीढ़ियाँ ,जी लेगी बिन ऑक्सिजन ?
बोतल बंद पानी पीना शौक़ है,बस कहने का
घंटियाँ बज रही ,अभी वक़्त है संभलने का
बूँद बूँद संरक्षण हो ,धरती माँ ना रहे प्यासी
जल का उपयोग हो ऐसा ,पीढ़ियाँ भी ना रहे प्यासी
जल जीवन हरियाली को महामन्त्र बनाना है
जन जन और घर घर से बात यही दुहराना है
ख़ाली जगह जहाँ मिल जाए,पौधा एक लगाना है
शुद्ध हवा की शृंखला में एक एक कड़ी बढ़ाना है।