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Ashutosh Atharv

Abstract Fantasy

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Ashutosh Atharv

Abstract Fantasy

क्या इस कलियुग में कान्हा का अवतार

क्या इस कलियुग में कान्हा का अवतार

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क्या इस कलियुग में कान्हा का अवतार नहीं हो सकता है?

महँगाई जैसी पूतना का, बल क्षीण, नहीं हो सकता है?

 

खून पसीने की मेहनत से, बिछौना बुना जाता है

बाढ़-सुखाढ़ के प्रकोप से सब चूना हो जाता है

आकंठ कर्ज से डूबे किसान को, बस फंदा ही दिखता है

क्या इस "सुदामा' का कभी उद्धार नहीं हो सकता है?


क्या इस कलियुग में कान्हा का अवतार नहीं हो सकता है?

क्या फिर से गीता का उद्गार नहीं हो सकता है?


लोभ-लालच आज कैसा जड़ जमाया देश में?

नक्सली, आतंकी बन घूम रहे हर वेश में

क्या शकुनियों के चाल को रोका नहीं जा सकता है?

इस कौरव सेना का क्या हार नहीं हो सकता है?

क्या इस कलियुग में कान्हा का अवतार नहीं हो सकता है?


भारत के असंख्य जन, अब भी भूखे सोते हैं

दूध दूध की रट लगाकर बच्चे अब भी रोते हैं

गली गली में द्रौपदियों की चीख़ सुनाई देती है

क्या द्रौपदियों के लाज का खेवनहार नहीं मिल सकता है?


क्या इस कलियुग में कान्हा का अवतार नहीं हो सकता है ?



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