STORYMIRROR

Ashutosh Atharv

Abstract

4  

Ashutosh Atharv

Abstract

फेसबुक वाला

फेसबुक वाला

1 min
209

दस साल तक ऐसे चिपके, लोग कहे फेसबुक वाला

लाइक शेयर और कमेंट पढ़, झूमे जैसे मतवाला

मायावी दुनिया में डूबकर, रस पिया, रसपान किया

इच्छा शक्ति से दूर रहा तो समझूंगा हिम्मतवाला


सिसक रहा है लिखने वाला, पागल सा पढ़ने वाला

गूगल सर्च कर ढूंढ रहा, मुझको भी चाहने वाला

बढ़ रही है मोह पोस्ट से, जस जस समय गुजरता है

बिना स्क्रीन ही घूम रहा सब, कैसे होंगे फेसबुक वाला


सुख हो या दुख हो लिखता था लिखने वाला

आधी रात या ब्रह्म मुहूर्त हो रचता था फेसबुक वाला

दुनियावालों एक नजर तुम मेरे पोस्ट पर भी डालो

हर क्षण जो घटना होती थी लिखता था फेसबुक वाला।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract