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Ashutosh Atharv

Classics Fantasy Children

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Ashutosh Atharv

Classics Fantasy Children

ऐ सूरज

ऐ सूरज

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ऐ सूरज ! कल इतवार को,तुम कुछ देर से आना

देर रात को सो रहा हूं और देर से मुझे जगाना


हर पल अब तो डरा रहा है,पूरी दुनिया को कोरोना

स्कूल अभी सब बंद पड़े हैं और देर तक मुझे है सोना


तुझे नहीं लगता है क्या डर ?कोरोना से मेरे दिनकर!

हम तो घर में बंद पड़े हैं, उब गया अब रह कर घरपर 


मेरे अवि ! तुझे क्या बतलाऊं ? मेरा तो बस एक ही काम

जहां जाऊं वहां सवेरा, कभी ना होता मेरा शाम


तुम अवि हो, मैं रवि हूं, दोनों मिलता जुलता नाम

तुम पढ़ते हो, मैं घूमता हूं, मिलता- जुलता दोनों काम

तुम दोस्त हो, तेरे खातिर, सोचता हूं ,कुछ देर से आऊं


इतने भोले दोस्त हो तुम, नहीं चाहता तुझे जगाऊं 

पर जन्तु,पादप को सोचकर, मित्र समय पर मैं आऊंगा


कुछ देर तेरे घर पर रूक खिड़की से तुझे बहलाऊंगा।


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