जब भी मेरे तुम्हारे बीच इस घर में ये गीले मौसम आते हैं जब भी मेरे तुम्हारे बीच इस घर में ये गीले मौसम आते हैं
ससुराल से लौटते वक़्त ससुर जी ने, शगुन के तौर पर कुछ पैसे दिए ससुराल से लौटते वक़्त ससुर जी ने, शगुन के तौर पर कुछ पैसे दिए
अब हंसाओ उन्हें सदा ही जन बलखाती हवा को हंसी दे। अब हंसाओ उन्हें सदा ही जन बलखाती हवा को हंसी दे।
वह आता था उसे देखने बार बार उस बंद खिड़की की ओट से अपनी रश्मियों के संग .... || वह आता था उसे देखने बार बार उस बंद खिड़की की ओट से अपनी रश्मियों के संग .... ||
जहाँ ना ज़मीरों की पाबन्दियाँ हो दीवाना उसी राह पे चल पड़ा है। जहाँ ना ज़मीरों की पाबन्दियाँ हो दीवाना उसी राह पे चल पड़ा है।
अपनी फिर भी बची रह गई प्रार्थना। अपनी फिर भी बची रह गई प्रार्थना।