साँसों की यूँ डोर कट गई मुट्ठी से ज्यूँ रेत फिसल गई जगा सका न फिर मुझे कोई चिरनिद्रा में ऐसी सोई।... साँसों की यूँ डोर कट गई मुट्ठी से ज्यूँ रेत फिसल गई जगा सका न फिर मुझे कोई चि...
हमको जो कुछ प्राप्य नहीं हम उसका शोक मनाते हैं साँसों की सौगात को हम अक्सर भूल ही जाते हैं। हमको जो कुछ प्राप्य नहीं हम उसका शोक मनाते हैं साँसों की सौगात को हम अक्सर भू...
वह आता था उसे देखने बार बार उस बंद खिड़की की ओट से अपनी रश्मियों के संग .... || वह आता था उसे देखने बार बार उस बंद खिड़की की ओट से अपनी रश्मियों के संग .... ||
क्यों याद आती है वह --हमें बार बार ...., आकर नम कर जाती --हमें । क्यों याद आती है वह --हमें बार बार ...., आकर नम कर जाती --हमें ।
वो भी तो अपने घर का दीपक थी, मान थी, सम्मान थी माता-पिता की लाड़ली, उनके मस्तक का अभिमान थी। पल... वो भी तो अपने घर का दीपक थी, मान थी, सम्मान थी माता-पिता की लाड़ली, उनके मस्तक ...