वो भी तो अपने घर का दीपक थी, मान थी, सम्मान थी माता-पिता की लाड़ली, उनके मस्तक का अभिमान थी। पल... वो भी तो अपने घर का दीपक थी, मान थी, सम्मान थी माता-पिता की लाड़ली, उनके मस्तक ...