सौगात
सौगात
प्रतिदिन ईश्वर से मिलता है
साँसों का अनमोल उपहार
हम इसको अनदेखा करते
समझ इसे अपना अधिकार।
प्रतिदिन हम में से कितने ही
चिर निद्रा सो जाते हैं
कितने हैं जो हमराही से
पल में जुदा हो जाते हैं।
कितने ही मासूम से बच्चे
रोज़ अनाथ हो जाते हैं
कितने युवा अपनी माँओं की
गोदें सूनी कर जाते हैं।
हमको जो कुछ प्राप्य नहीं
हम उसका शोक मनाते हैं
साँसों की सौगात को हम
अक्सर भूल ही जाते हैं।।