आशिकी
आशिकी
कल अशोक भाई खिले खिले नज़र आए
कारण पूछने पर धीरे से मुस्कुराए
सवर्ण आरक्षण ने एक आस है जगाई
एक बड़ी योजना मन में कुलबुलाई।
अब मेरे बेटे का भविष्य संवर जाएगा
माँ पिता की आय गर कम वह बताएगा
कागज पर माँ पिता का तलाक दिखाऊंगा
मामला आठ लाख से कम पर निबटाऊंगा।
कुछ अर्से के लिए पत्नी से आज़ादी पायेंगे
अपनी नीरस जिंदगी में फिर से बहार लाएँगे
पत्नी जान कर भी कुछ न कह पाएगी
बेटे की खातिर सब कुछ सह जाएगी।
हम भी थोड़े दिन आशिकी में बिताएंगे
पत्नी कसमसाएगी और हम मुस्कुराएंगे
हमने कहा अशोक भाई आप भूल रहे हैं
पत्नी से आज़ादी की खुशी में झूल रहे हैं।
याद रखिए पासा उल्टा पड़ सकता है
पत्नी के आशिक से पाला पड़ सकता है
बुढ़ापे में फिर आप अकेले रह जाओगे
छब्बे बनने के चक्कर में दुबे बन जाओगे।