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Upama Darshan

Tragedy

4.0  

Upama Darshan

Tragedy

रुक्मणी

रुक्मणी

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राधा कान्हा का प्रेम अमर है

रुक्मणी का नहीं कोई ज़िक्र है।


कान्हा संग रहीं, गोपियाँ राधा

रुक्मणी का साथ, अधूरा आधा।


राधा संग कान्हा जब खेले होली

रुक्मणी ने व्यथा अश्रुओं में घोली।


रंग जो बिखरे राधा के तन पर

शूल लगे रुक्मणी के मन पर।


आस रही रुक्मणी को तब भी

पिय खेले होली उन संग भी।


राधा हुई प्रेयसी, मीरा दीवानी

रुक्मणी की पीड़ा रही अनजानी।



कान्हा की पत्नी बन, रानी का मान मिला

पर कान्हा के हृदय में न स्थान मिला।


साहित्य में राधा-मीरा को, सम्मान मिला

रुक्मणी की वेदना को, क्या कोई स्थान मिला ?


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