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Upama Darshan

Others

5.0  

Upama Darshan

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आज की नारी

आज की नारी

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नारी सशक्तिकरण के चलते

नया दौर अब आया है

पतियों का वर्चस्व ख़त्म हुआ

पत्नियों की ही माया है

शादी का अलिखित नियम यही

कि पत्नी घर की स्वामिनी है

गलत कहे या सही पति को

पत्नी की बात ही माननी है


रौद्र रूप कभी धारण कर

आँसू कभी बहाती है

घर में पति के मात पिता का

प्रवेश निषिद्ध कराती है

घर के सुख शांति के आगे

पति विवश हो जाता है

मात पिता दुनिया के लिए

वह कपूत बन जाता है


पत्नी के मात पिता जब आते

उनका स्वागत होता है

बेटी है बेटे से बढ़ कर

सबको यह भ्रम होता है

पति जो अपने सास ससुर का

स्वागत सम्मान करता है

अनदेखा रहता है उसका

यशोगान न होता है


आज के इस बदलते युग में

पुरुष बड़ा बेचारा है

नारी की शक्ति के आगे

वह सच ही में हारा है


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