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शशि कांत श्रीवास्तव

Tragedy

4.0  

शशि कांत श्रीवास्तव

Tragedy

"क्यों, याद आती है -माँ "

"क्यों, याद आती है -माँ "

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क्यों याद आती है वह --हमें 

बार बार ....,

आकर नम कर जाती --हमें 

अधीर हो उठता है ,मेरा मन 

देखकर उसका-सोया मुखड़ा 

जैसे .....वह ,

कह रही हो मुझसे 

रोता क्यूँ है पगले तू 

मै तो केवल सोई हूं ,

क्यों याद आती है वह --हमें 

पर यह भ्रम था मेरा 

वह ,सोई हुई जरूर थी --पर 

होकर ,चिरनिद्रा में लीन 

रोता बिलखता छोड़ हमें 

चली गई ,वह मेरी --माँ 

क्यों याद आती है --माँ 

तेरी ------हमें ।

 


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