शशि कांत श्रीवास्तव

Romance

4.6  

शशि कांत श्रीवास्तव

Romance

पैगाम

पैगाम

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कल तक बड़ी शिद्धत से था

इंतजार...,

उनके पैगाम का,

आज भी उसी शिद्धत से है

इंतजार..,

उनके पैगाम का,

कल भी लगे थे सेवा में

माँ की अपनी,

आज भी लगे हैं सेवा में

माँ की अपनी,

बस फर्क इतना ही है -कि

कल अपनी माँ की सेवा में थे

आज भारत माँ की सेवा में हैं,

आज भी इंतजार है

उनके पैगाम का..


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