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शशि कांत श्रीवास्तव

Romance

4  

शशि कांत श्रीवास्तव

Romance

मीत मेरे

मीत मेरे

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आओ प्रिये, 

चलो..,चलें कहीं दूर --प्रिये 

जी लें कुछ पल जीवन के, 

सुकून से , 

जहाँ ना हो कोई बंधन और 

ना हो कोई आपा धापी, 

बस केवल हों हम और तुम , 

आओ प्रिये चलो...., चलें |

दूर गगन के उस पार चलें 

जहाँ पर मिलते साँझ तले, 

धरती और आकाश -प्रिये

आओ, चलें कहीं दूर -प्रिये, 

जी लें कुछ पल जीवन के |

अब तक जो जीवन जीया हमने, 

बच्चों और रिश्तों की खातिर, 

अब आ गया समय वह --कि 

अब तो जी लें इस जीवन को 

अपनी खुशियों की खातिर, 

इस जीवन का पता नहीं 

कब किसकी नैया पार लगेगी, 

कौन रहेगा इस पार -प्रिये 

तन्हा और एकांत लिए, 

आओ, चलें कहीं दूर -प्रिये , 

जी लें कुछ पल जीवन के!



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