मीत मेरे
मीत मेरे


आओ प्रिये,
चलो..,चलें कहीं दूर --प्रिये
जी लें कुछ पल जीवन के,
सुकून से ,
जहाँ ना हो कोई बंधन और
ना हो कोई आपा धापी,
बस केवल हों हम और तुम ,
आओ प्रिये चलो...., चलें |
दूर गगन के उस पार चलें
जहाँ पर मिलते साँझ तले,
धरती और आकाश -प्रिये
आओ, चलें कहीं दूर -प्रिये,
जी लें कुछ पल जीवन के |
अब तक जो जीवन जीया हमने,
बच्चों और रिश्तों की खातिर,
अब आ गया समय वह --कि
अब तो जी लें इस जीवन को
अपनी खुशियों की खातिर,
इस जीवन का पता नहीं
कब किसकी नैया पार लगेगी,
कौन रहेगा इस पार -प्रिये
तन्हा और एकांत लिए,
आओ, चलें कहीं दूर -प्रिये ,
जी लें कुछ पल जीवन के!