कुछ शब्द
कुछ शब्द
कुछ शब्द तीर सरीखे चुभ जाते है
हमारे हृदय के वो पार चले जाते है
तलवार का जख़्म तो भर भी जाता,
कुछ शब्द अमिट निशां कर जाते है
शब्दों का इस्तेमाल सोच कर करे,
शब्दो से पत्थर हृदय पिघल जाते है,
और नाजुक दिल पत्थर बन जाते है
कुछ शब्द तीर सरीखे चुभ जाते है
कमान से निकला तीर,बोला शब्द,
कभी वापिस लौट कर नही आते है
तलवार से तीक्ष्ण,शब्दों की बाते है
बुरे शब्द हमे अंत तक याद आते है
अच्छे शब्द जब-जब बोले जाते है
वो प्रार्थना,दुआ जैसे माने जाते है
उनकी हर ख्वाइस पूरी हो जाती है,
जिनके द्वारा सत्य शब्द बोले जाते है
शब्दो का इस्तेमाल हम ध्यान से करे,
शब्दों से ही मित्र-शत्रु बनाये जाते है
32 दांतो के बीच जीभ इस कारण है,
शब्दो से ही हावभाव बदल जाते है
कुछ शब्द तीर सरीखे चुभ जाते हैं
कुछ शब्द मुर्दे को जिंदा कर जाते हैं
जिनके द्वारा जैसे शब्द बोले जाते हैं
वो लोग यहां पे वैसा ही फल पाते हैं।
