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Praveen Kumar

Abstract Inspirational

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Praveen Kumar

Abstract Inspirational

Covid-19

Covid-19

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तुम बेचकर हवा अमीर हो गए,,

हम सांस के खरीददार गरीब हो गए।।


आंखों में अश्क दर्द से कराहता बदन,,

तुम गुमशुदा दवा हम शरीर हो गए।।


किससे गिला करें, किसपे यकीन हो,,

भगवान तुम बने, हम तकदीर हो गए।।


श्मशान मे रौनक है, वीरान है महफिलें,,

तुम खुली किताब, हम लकीर हो गए।।


जहन्नुम में झोककर, सब हो गए चुनाव,,

तुम जीतकर वजीर, हम तस्वीर हो गए।।


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