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सोनी गुप्ता

Abstract

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सोनी गुप्ता

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अलादीन का चिराग

अलादीन का चिराग

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जीवन में बहुत कुछ पाने की तमन्ना रही है 

मन सोचता काश अलादीन का चिराग होता

और इस संसार में न घर पर कोई भूखा सोता 

सबके जीवन खुशियों का सिर्ख़फ जाना होता

भूल जाते सारे गम बस खुला आसमान होता 

मन सोचता काश अलादीन का चिराग होता I 


पल पल ,हर-पल जीवन में ख्वावों को बुनता 

उन ख्वाबों में हसीन पलों को चुनता रहता

हर कठिन से भी कठिन राह हो जाती आसान 

मंजिल पा ही लेता अपनी हर वो सख्स यहाँ

खूबसूरत पलों को समेट लेता अपनी बाहों में 

 मन सोचता काश अलादीन का चिराग होता I 


सोचता मन हर एक पाषाणों में भी फूल खिलते

 दूर कहीं देखते तो रेगिस्तानों में जीवन है मिलते

सपनों सा सुन्दर हाँ बहुत सुन्दर एक जहान होता

जहाँ न अपना न पराया का कोई रोना ही होता 

बस मैं और मेरा खुशियों से भरा ये संसार होता 

मन सोचता काश अलादीन का एक चिराग होता I 


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