मर्यादा
मर्यादा
हम मर्यादा में रहना सीखें
मन की बातें कहना सीखें
पहन कुसंस्कारों का खोल
कभी न बोलें कड़वे बोल
सीख बड़ों से अच्छी लेना
राय सुमारी भी सच्ची लेना
कभी न,किसी को गाली देना
दुर्बल की हाय कभी न लेना
मर्यादा में रहे पुरुषोत्तम राम
वन- वन डोले सुबह-शाम
जग में बड़ा है उनका नाम
बनायें सबका बिगड़ा काम
सदा मर्यादित हम काम करें
जग में रोशन यह नाम करें
सुसंस्कारों की डोर थामकर
तू जगत में अच्छे काम कर
हृदय किसी का न आहत करना
मन में अपने नित साहस भरना
आशीषों के सुंदर सुमन झरेंगे
प्रेम राग का अलि गुंजार करेंगे।
