दुर्गम पथ का साथी, कलम का सिपाही, दुर्गम पथ का साथी, कलम का सिपाही,
बस मैं और मेरा खुशियों से भरा ये संसार होता मन सोचता काश अलादीन का एक चिराग होता I बस मैं और मेरा खुशियों से भरा ये संसार होता मन सोचता काश अलादीन का एक चिराग ...
अपनी ही पहचान से वह हमेशा ही महरूम रही अपनी ही पहचान से वह हमेशा ही महरूम रही