अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा
Action Inspirational
कलम का सिपाही,
बलिदानों का राही,
पुलकित होता प्राणों से,
त्वरा का अनुगामी ।
दुर्गम पथ का साथी,
छांव ढूंढता उजियारे में,
अमर होती प्रथायें,
पाषाण तोड़ती हवायें,
कुदाल नहीं चलाता,
कलम का सिपाही।
इत्तफाक जिंदग...
कान्हा
सर्द हवाएं
कभी ख़ुश तो कभ...
मेरा ग़म
हौसलों को बुलंद कर के चले हम इंसाफ और एक कदम बढ़ाते चले हम हौसलों को बुलंद कर के चले हम इंसाफ और एक कदम बढ़ाते चले हम
हमारे देश की शान हैं तिरंगा तिरंगा लहराता ऊंचा मेरा तिरंगा। हमारे देश की शान हैं तिरंगा तिरंगा लहराता ऊंचा मेरा तिरंगा।
हवा के रुख से मुख मोड़ गई बदरी बिन बरसा सावन तन-बदन में आग लगाए। हवा के रुख से मुख मोड़ गई बदरी बिन बरसा सावन तन-बदन में आग लगाए।
नये कोरे कागज़ पे, नई पंक्तियों का होगा साज़। नये कोरे कागज़ पे, नई पंक्तियों का होगा साज़।
किसी माँ का लाल किसी की मांग का सिंदूर उनका तो वो जहान है किसी माँ का लाल किसी की मांग का सिंदूर उनका तो वो जहान है
पार्किंग, माल, हॉस्पिटल, करते हैं हर जगह सतर्क हमें। पार्किंग, माल, हॉस्पिटल, करते हैं हर जगह सतर्क हमें।
बिजली हम में बसती है हम बादल घनघोर हैं बिजली हम में बसती है हम बादल घनघोर हैं
तो वहीं दूसरा मर रहा है अपने हिन्दुस्तान की शान के लिए, तो वहीं दूसरा मर रहा है अपने हिन्दुस्तान की शान के लिए,
किसी की जिंदगी में तुम्हारी जिंदगी कब ढूंढोगे किसी की जिंदगी में तुम्हारी जिंदगी कब ढूंढोगे
यूं ... जिन्दगी कट जाएगी .. यूं .. जिन्दगी में उलझा न करो .. यूं ... जिन्दगी कट जाएगी .. यूं .. जिन्दगी में उलझा न करो ..
जन्म जन्म तक ए जाने जाना हम भी तेरी दुनिया बसा देंगे। जन्म जन्म तक ए जाने जाना हम भी तेरी दुनिया बसा देंगे।
प्रश्न हमेशा ही प्रश्नवाचक चिन्ह लिए मुंह बाए खड़ा रहता है प्रश्न हमेशा ही प्रश्नवाचक चिन्ह लिए मुंह बाए खड़ा रहता है
तिरंगा की कसम खाकर भारत के वीर लाल कितनी ही कठिनाइयों का सामना करते तिरंगा की कसम खाकर भारत के वीर लाल कितनी ही कठिनाइयों का सामना करते
क्या मैं केवल देह मात्र हूँ या एक व्यक्तित्व का मूलाधार हूँ क्या मैं केवल देह मात्र हूँ या एक व्यक्तित्व का मूलाधार हूँ
जिंदगी की भीड़ में साथी मिले जो प्यार दे, जिंदगी की भीड़ में साथी मिले जो प्यार दे,
अज़ल तलवार रखते है रक़ीबों से बचाने हम, नहीं चुनते कोई पत्थर हीरो की ख़ान लेते है। अज़ल तलवार रखते है रक़ीबों से बचाने हम, नहीं चुनते कोई पत्थर हीरो की ख़ान लेत...
जैसे मैं करती हूं वाह वाह किसी का लिखा पढ़कर जैसे मैं करती हूं वाह वाह किसी का लिखा पढ़कर
रहमान बाँदवी तैयार रहो नमक अदायगी के लिए। रहमान बाँदवी तैयार रहो नमक अदायगी के लिए।
बर्मा सम्मेलन में जिसने, जन-मन को संवारा था बर्मा सम्मेलन में जिसने, जन-मन को संवारा था
भारत माँ की रक्षा के लिए, अपना कर्तव्य निभाया है भारत माँ की रक्षा के लिए, अपना कर्तव्य निभाया है