अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा
Action Inspirational
कलम का सिपाही,
बलिदानों का राही,
पुलकित होता प्राणों से,
त्वरा का अनुगामी ।
दुर्गम पथ का साथी,
छांव ढूंढता उजियारे में,
अमर होती प्रथायें,
पाषाण तोड़ती हवायें,
कुदाल नहीं चलाता,
कलम का सिपाही।
इत्तफाक जिंदग...
कान्हा
सर्द हवाएं
कभी ख़ुश तो कभ...
मेरा ग़म
कभी-कभी अनहोनी होती है तो रोते रोते भी जाता है। कभी-कभी अनहोनी होती है तो रोते रोते भी जाता है।
"मुरली" में प्यारकी धून बजाकर, तमाशा मैंने बंध कर दिया। "मुरली" में प्यारकी धून बजाकर, तमाशा मैंने बंध कर दिया।
फिर... हम ही नहीं पूरी प्रजा को अपने साथ पाओगे..! फिर... हम ही नहीं पूरी प्रजा को अपने साथ पाओगे..!
समझाओ कोई उनको उसकी मौत पर ये शोर क्यों मचा है?। समझाओ कोई उनको उसकी मौत पर ये शोर क्यों मचा है?।
हैं तो हम जनसाधारण और सारी मानवता के लिए उत्तरदायी हैं। हैं तो हम जनसाधारण और सारी मानवता के लिए उत्तरदायी हैं।
चलो आसमान की सैर करें चलो आसमान की सैर करें
तो कभी भेदभाव लिंग का करना नहीं, बेटा या बेटी एक समान समझना यही। तो कभी भेदभाव लिंग का करना नहीं, बेटा या बेटी एक समान समझना यही।
हम सनातनी हैं वसुधैव कुटुंबकम् गा लेते हैं। हम सनातनी हैं वसुधैव कुटुंबकम् गा लेते हैं।
मनमोहक चाल इसकी सवारी का आनंद बहुत आता है। मनमोहक चाल इसकी सवारी का आनंद बहुत आता है।
सूचक में है तूफान के आंधी के, और बारिश सूचक में है तूफान के आंधी के, और बारिश
ना भटको मेरी जान इधर उधर सब कुछ है अपने पास में ना भटको मेरी जान इधर उधर सब कुछ है अपने पास में
खो गए जो है इस मंजर में, उनकी खातिर ईश्वर से मैं प्रार्थना करता।। खो गए जो है इस मंजर में, उनकी खातिर ईश्वर से मैं प्रार्थना करता।।
पेड़ों से है लाभ, फूल फल सब हैं मिलते।। पेड़ों से है लाभ, फूल फल सब हैं मिलते।।
खुद को कसूरवार बना दिया खुद को कसूरवार बना दिया
और हमें जिंदगी को स्थाई बनाना है। ना कि तूफान के हल्के से झोंके से उड़ जाना है। और हमें जिंदगी को स्थाई बनाना है। ना कि तूफान के हल्के से झोंके से उड़ जाना ...
खुद को रोज़ थोड़ा बहेतर बनाने की बात में ही सुकून पाया है।’ खुद को रोज़ थोड़ा बहेतर बनाने की बात में ही सुकून पाया है।’
दीपक उनसे प्रीत,सदा उनसे ही आशा।। दीपक उनसे प्रीत,सदा उनसे ही आशा।।
नाम कितने-कितने गिनाऊँ मैं वीर गौरव गाथा सुनाऊँ मैं। नाम कितने-कितने गिनाऊँ मैं वीर गौरव गाथा सुनाऊँ मैं।
परोक्ष रूप से तुझे न पाऊँ तो तेरे एहसास के लिए कुछ भी काफ़ी नहीं... परोक्ष रूप से तुझे न पाऊँ तो तेरे एहसास के लिए कुछ भी काफ़ी नहीं...
कान्हा लेते नाम, सदा जपते हैं राधा।। कान्हा लेते नाम, सदा जपते हैं राधा।।