तेरे मेरे प्यार के दो लफ्ज़:---
तेरे मेरे प्यार के दो लफ्ज़:---
मेरे जज्बात आज कुछ ऐसे बताना चाहती हूँ
की तेरे और मेरे प्यार को लफ्जों पे उतारना चाहती हूं ।।
हाँ कई मीलों दूर रहती हूं तुमसे
पर तुमसे किया हुआ ये सच्चा प्यार आज इस पन्नों में उतारना चाहती हूँ
की तेरे मेरे प्यार को लफ्जों में उतारना चाहती हूँ।।।
हम दोनों कुछ अनजान बन के मिले थे
पर कब जान बन गये
में वो सबको बताना चाहती हूँ
हां में तेरे मेरे प्यार को लफ्जों में उतारना चाहती हूँ।।
दूर रहकर प्यार करना बड़ा मुश्किल होता हे
पर हमारे ये सच्चे प्यार की
सबको मिसाल देना चाहती हूं
हां मैं तेरे मेरे प्यार को लफ्जों में उतारना चाहती हूं।।
अच्छा याद है तुम्हें
तुमने मुझे एक गुलाब का फूल दिया था
उससे देख मैं हमेशा तुम्हारे साथ बिताये हुये
लम्हे याद करती हूं।।
तुम्हारा वो प्यार से मेरे सर को चूमना
और मेरे रोती ही मुझे गले से लगा लेना
ना समझ बन जाऊं तो तुम्हारा मुझे वो प्यार से समझना
और हर मुश्किल में मेरा हाथ थाम लेना
दिन रात वही सब यादें सोचती रहती हूं।।
आ गई हूं मैं यहां तुमसे दूर
पर जाना में तो तुम्हारे दिल की धड़कनों में बसती हूँ
एक साथ एक शहर में ना रहकर भी
तुमसे मरते दम तक प्यार करने की कसम खाती हूं
हां मैं अपना यही प्यार
लफ्जों में उतारना चाहती हूँ।।
लड़ाई करती हूं तुमसे
बेशक गुस्सा भी करती हूं
नाराज हो जाऊँ तुमसे
तो तुम मुझे मनाओ ये तुमसे उम्मीद भी रखती हूं
सब बोलते हे उम्मीद अच्छी नहीं होती
पर उन सबको गलत करना चाहती हूं
इसलिए में तेरे मेरे ये दरमियां लफ्जों में उतारना चाहती हूं।।
कभी कभी ये दिल तुमसे दूर रहने के लिये मानता नहीं
फिर भी इसको सम्भाल लेती हूं
मुझे तुम अपनी ताकत बोलते हो
मैं तुम्हें अपनी दुनिया मानती हूं।।
लोग हँसते हैं सुन के और बोलते हे की
ये दूर रहकर प्यार कभी कामयाब नहीं होता
पर उन सबको गलत करना चाहती हूं
इसलिए अपने इस प्यार को लफ्जों में उतारना चाहती हूँ।।
" किसी से दूर रहना आसान नहीं होता
वो भी उनसे जिन से हम सबसे ज्यादा प्यार करते हो।।।
ये जज्बात सबसे ज्यादा दर्द भरी होती है ।।
इसलिए इसको लफ्जों में बोल डालना बेशक जरूरी है।।

