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Ishika Singh

Romance

4.5  

Ishika Singh

Romance

वो पिछले साल की बात है......

वो पिछले साल की बात है......

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आओ तुम्हे प्यार के एहसास की कश्ती में सैर करा लाएं,

ख्वाब था वो की कोई हकीकत, दिल इसी कश्मकश में जूझता जाए. 

बीत तो गया पिछला साल पलक झपकते ही, 

पर छाप ऐसी छोड़ गया, जो महसूस कभी किया नहीं।


मामूली सा दिन था, ना ज़्यादा खुशी थी ना ज़्यादा गम था, 

उस घड़ी कुछ तो बदला, जो किस्मत में पहले से था लिखा।

नहीं समझ पाया ये दिल, कब हाथों की लकीरों में वो शामिल हो गया, 

रह गया था जो एक अधूरा सा ख्वाब वो पूरा होते दिख गया। 

ज़ख़्म थे, जो छुपाए मुस्कुराहटों के पीछे, जाने कैसे भर दिए उसने, 

हाँ, ये वही है, मजबूर किया लिखने को, उसके बारे में जिसने।

 

बह ले चला वो मुझे अपने साथ, 

तुम फूलों की खुशबू, मैं हवा सा मनचला, और थाम लिया मेरा हाथ. 

जोड़ दिया सभी बिखरे हिस्से मेरे ऐसे, 

नन्हें पौधे को बांध देती है खाद जैसे. 

उसकी आँखों में अनोखी सी बात है, एक उम्मीद है, खुशियों की लहर है. 

मुस्कुरा के कह दे जो वो, तो मुश्किल रास्ते भी आसान है।


हसदे जो वो, तो तारों की चमक फीकी पड़ जाए

हते हैं दूर तो चाँद और सूरज भी हैं,

लेकिन रिश्ता इतना गहरा और फिर भी इतना खास की आँख भर आये. 

रुक सा गया था, सफ़र जो एक जिंदगी का,

दिल रोक ना पाया,कहके थामा जब हाथ, साथ जीले इसे, आ।


उस अंधेरे कमरे में जलती एक लॉ है वो, 

अंजान सड़कों पे मिल जाए कोई, हमसफर है वो. 

रुलाता है, 

मगर उसी बात पे हसाना भी जानता है. 

महफूज़ हूँ मैं, उसकी बाहों में, 

जाने कहाँ से, मेरे गिरने के बाद उठाने के तरीके ढूंढ के लाता है यह।


उसका हर शब्द वो स्याही का अंश है, 

मेरे जिंदगी के खाली पन्नों पर लिख दी गयी जो सुनहरी बात है.

गलत समय, सही इंसान जैसी बातें मानता था ये दिल कभी, 

गलत समय को सही बना दिया जिसने उसपे दिल आए कैसे नहीं ? 


है वो कोई जिसके वजह से आँसू गिनना बंद कर दिया, 

दिल और जज़्बातों को बंद रखा था जिस कमरे में, उसका भी दरवाज़ा खोल लिया

सही कहते हैं वो लोग, 

बना है जो आपके लिए, सफ़र में मिल जाएगा कहीं, 

नामुमकिन सा लगेगा जब, खड़ा मिलेगा वो एक खूबसूरत सा शख्स वहीं।


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