मन के हारे हार है, मन के जीते जीत
मन के हारे हार है, मन के जीते जीत
उठो, उठो उन निराशाओं से ऊपर,
थक के बैठ गए थे जिनको सोचकर,
मंज़िल की चिंता छोड़ दे,
पहले यह खूबसूरत सफर तो पूरा कर।।
आज़ाद हो तुम आज,
उन्हीं वीरों के खून पसीने की वजह से,
हो ऐसा हौसला बुलंद तुम्हारा की
लड़ जाओ किसी भी चुनौती से ।।
ओढ़ लो सकारात्मकता की वो चादर ,
बना लो उसे अपने जिंदगी का आधार,
मिलती नहीं खुशी, बिना चढ़े मुसीबतों का पहाड़।।
ठान लो तो पूरा जग करेगा नमन तुम्हारा
परिस्थितियां तो हैं बदलती मौसम के समान,
बना के चलता है जो संतुलन, वही कहलायेगा सशक्त इंसान।।
रह जाएगा अफसोस तुम्हें,
रुक गए जो बाधाएं सोच के ।।
उठोगे, गिरोगे, संभलोगे तब ही तो सीखोगे,
असफल हुए एक बार, अगली बार तब ही तो जीतोगे ।।
जिंदगी हँसाती भी है, रुलाती भी है
जो हर हाल में आगे बढ़ने की चाह रखते हैं,
जिंदगी उन्हीं के सामने सर झुकाती है
स्वीकार लो तो हार, ठान लो तो जीत है ।।
