दिन रात एक कर खूब मेहनत करता है दिन रात एक कर खूब मेहनत करता है
मसल कर उन चट्टानों को, माटी से तू मिला दे। मसल कर उन चट्टानों को, माटी से तू मिला दे।
निहारती बारिशों को फिर मन में बुदबुदाती कभी रोती, निहारती बारिशों को फिर मन में बुदबुदाती कभी रोती,
ख़्वाब तुम्हारे जो भी हो वो एक-एक पूरे करना कपड़े जब पसीने से तर जाये तो तर ही रहने देन ख़्वाब तुम्हारे जो भी हो वो एक-एक पूरे करना कपड़े जब पसीने से तर जाये तो तर ही...
जैसे बसंत कभी कड़ी धूप सी परेशानियाँ जलाती रहती हैं दर्द की एक आग सीने में, जैसे बसंत कभी कड़ी धूप सी परेशानियाँ जलाती रहती हैं दर्द की एक आग सीने में,
मैं भी सजीव हो उठा दौड़ने लगा धूप में परछाइयाँ बटोरने लगा धूप में तनहाइयाँ निचोड़ने मैं भी सजीव हो उठा दौड़ने लगा धूप में परछाइयाँ बटोरने लगा धूप में तनहा...