मंज़िलें जुदा होने से जुदा क्यों हो गए साथी बदल क्यों गए राही रह कर साथ कुछ लम्हें मंज़िलें जुदा होने से जुदा क्यों हो गए साथी बदल क्यों गए राही रह कर साथ कुछ...
जिन्हें लिखा था मैंने बड़े प्यार से पर भेज नहीं पाया। जिन्हें लिखा था मैंने बड़े प्यार से पर भेज नहीं पाया।
एकता ही एक आदमी को दस आदमी के बराबर कर देती है। एकता ही एक आदमी को दस आदमी के बराबर कर देती है।
हाँ एक बार ही सही कभी तो तुम आते छुप-छुपकर बातें करते थे हम कितने कितनी सारी शिकायतें करते थे... हाँ एक बार ही सही कभी तो तुम आते छुप-छुपकर बातें करते थे हम कितने कितनी स...
क्यों आज रिश्ता हमारे लिए सजा सा है? और जो है यही सच तो फिर क्यूँ कुछ नया- सा तेरी-मेर... क्यों आज रिश्ता हमारे लिए सजा सा है? और जो है यही सच तो फिर क्यूँ कुछ...
कोई भी बात हो दिल मे बुरी मौसम की तरह भूल जाना चाहिए। कोई भी बात हो दिल मे बुरी मौसम की तरह भूल जाना चाहिए।