STORYMIRROR

Pranav Prakash

Romance

3  

Pranav Prakash

Romance

अधूरा इश्क़

अधूरा इश्क़

1 min
294

मोहब्बत उससे मुझे बेशुमार था,

उस वक़्त बेअदब सा एक खुमार था,


लिखे थे न जाने कितने पत्र मैंने उसके नाम के,

जिस पे रखा था मैंने अपने दिल को निकाल के,


उन खतों को उस तक पहुंचाने की हिम्मत मैंं नहीं जुटा पाया,

अपने दिल की बात उससे मैं आज तक नहीं कह पाया।


वो सारे खत मैंने अपने दराज में संभाल के रखे हैं,

जिन्हें लिखा था मैंने बड़े प्यार से पर भेज नहीं पाया।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance