तुम मैं और तुम!
तुम मैं और तुम!
जब तुम्हारे घर आऊं तो कोई तकल्लुफ मत करना
तुम्हारी दुनिया जैसी है उसे वैसी ही रहने देना
ख़्वाब तुम्हारे जो भी हो वो एक-एक पूरे करना
कपड़े जब पसीने से तर जाये तो तर ही रहने देना
दोस्ती और दुश्मनी का हिसाब-किताब मत करना
एक दूसरे के लिए जो बन सके करना,
कुछ बाकी ना रहने देना..
