मैं एक चॉकलेट हूँ
मैं एक चॉकलेट हूँ
वैसे तो मैं एक चॉकलेट हूँ पर असल में ज़िन्दगी की तरह हूँ
इतिहास में ४५० इसा पूर्व से हूँ पर में मीठी १६वी शताब्दी से हुई हूँ
समय संग रूप बदलती गई कभी तरल तो कभी सुखी परोसी गई
हर सांचे में ढलती चली गई कभी गोल तो कभी चौकोर बनायीं गई
भारत में अभी-अभी आयी हूँ पर लगता है कि वर्षों पुरानी हूँ
हर उत्सव का अभिन्न अंग हूँ पर छुप-छुपाकर भी खायी जाती हूँ
जिसने जैसा बनाया वैसे बन गई कभी श्याम तो कभी श्वेत रंगी गई
हर बार नयी कहानी गढ़ती गई कभी खूबसूरत तो कभी यादगार लम्हा बन गई।
