तू चला गया क्यों चला गया
तू चला गया क्यों चला गया


तू चला गया क्यों चला गया
एक बस मुझे ही बेजान कर गया
तू चला गया क्यों चला गया...
सब वादों को तोड़ गया
ख्वाबों में खौफ़ भर गया
कुछ दिखता नहीं ऐसा अँधेरा कर गया
सफ़ेद बादल बरसा गया
नदियों में तूफान लाद गया
आँखों सोती नहीं कैसा इंतज़ार दे गया
बिछड़ने का दर्द दे गया
रेत में चेहरे उकेर गया
मौत आती नहीं लम्बी ज़िन्दगी दे गया
तू चला गया क्यों चला गया
एक बस मुझे ही बेजान कर गया...