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Gaurav Chhabra

Abstract

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Gaurav Chhabra

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भाई तू शायद भूल गया होगा!

भाई तू शायद भूल गया होगा!

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अभी तक संजो कर रखे है मैंने वो सारे पल......

भाई तू शायद भूल गया होगा!

तूने एक बार मुझे बर्थडे पर एक जूते रूपी सांचे में ढला विभिन्न इस्तेमाल में लाये जाने वाला चीनी का एक मग दिया था

वह मग एक कार्टून करैक्टर प्रतीत होता था, उसके दो पैर थे पर कान एक ही था

मैं उसे इस्तेमाल भी करता था खेलता भी था

जब उस मग का एक पैर टूट गया तो मैंने बहुत दुखी हुआ था

उसे चिपकाने के लिए फेविकोल, टेप, सरस सब लगाया था

तब मुझे जीवन एक महत्वपूर्ण सबक समझ आया था


"हर रिश्ता अमूल्य है इसे बहुत सहेज कर रखो|"

तो भाई शुक्रिया मेरे हर पल में रहने के लिए |


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