शब्द अनजान है... दिल बेजान है
शब्द अनजान है... दिल बेजान है
शब्द अनजान है... दिल बेजान है
मुकद्दर का खेल बड़ा बेईमान है
क्या बोलूं किसे सुनाऊं
दिल का दर्द बड़ा शैतान है
सच बोलता हूँ मार मिलती है
जो झूठा है उसका गुणगान है
शब्द अनजान है... दिल बेजान है
मुकद्दर का खेल बढ़ा बेईमान है
कुछ उम्मीदें है कुछ साँसे है
मैं जिंदा हूँ और दुनिया हैरान है
पेट में आग सुबह और शाम है
घर में ग़रीबी जो विराजमान है
शब्द अनजान है... दिल बेजान है
मुकद्दर का खेल बढ़ा बेईमान है
हर फ़क़ीर मेरा अपना है
मेरा हर अपना परेशान है
हर रोज़ जो नींद में सजती है
वो सपनों की एक दुकान है
शब्द अनजान है... दिल बेजान है
मुकद्दर का खेल बढ़ा बेईमान है
